Saturday, April 9, 2011

समर्पण ही प्रेम है

महेश शर्मा

नटसेल में कहा जाए तो प्र्रेम जीने के लिए, प्यार करने और त्याग करने का नाम है।

इतना कहना बहुत आसान है। लेकिन इसी के साथ सवाल यह भी उठ खड़ा होता है कि यदि हमें जीना है तो कैसे जिएं। किस उदृदेष्य के लिए जिएं। इसके लिए सर्वोत्तम मार्ग क्या हो सकता है? जीवन की इस समस्या को हमें विभिन्न प्रकार से देखना है। हम यहां क्यूं आये हें। हमें किस तरह जीना चाहिए और जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए।

इन सभी प्रष्नों का जवाब एक ही आप सही तरह से जीएं और जो भी करें वो विवेक करें। आपका विवेक सही है तो आप किसी भी व्यक्ति से प्रेम के सिवा कुछ कर ही नहीं सकते। प्रेम का रूप भी अलग अलग होता है। एक मां का प्रेम, बहन का प्रेम और पत्नी का प्रेम। पति पत्नी के बीच भी यही प्रेम होना चाहिए। और यह निःस्वार्थ भाव पर आधारित होने चाहिए। दोनों के बीच आपसी रिष्तों में त्याग प्रधान होने चाहिए। तभी वैवाहिक जीवन को लंबे अरसे तक के लिए खींचा जा सकता है। इसके बिना किसी दांपत्य सुख के लिए कोई और प्रयास करना रेगिस्तान में पानी ढूंढने जैसा है। ऐसा इसलिए कि आपको जो मिला है उससे आप खुष नहीं हैं। आप तालमेल बैठाना न हीं चाहते और चंचल मन को नियंत्रित न कर उसके वष में हुए चले जा रहे हैं। यही वैवाहिक जीवन में अषांति का कारण बनता है। इसलिए सच्चे प्रेम की तलाष करें और खुद को उसी के लिए समर्पित कर दें।
हिंसा से बचें:

अगर आप हिंसक प्रव2त्तियों से दूर रहते हैं तो आप षांत रहेंगे। अधिकतर लोग यह सोचते हैं कि यदि कोई हम पर वार करता है तो हमें भी पलट कर वार करना चाहिए। अहिंसा द्वारा व्यक्ति सुरक्षित रहता है, चाहें तो अगली बार जब कोई समस्या हो तो इसे प्रयोग कर देखें।
झूठ बोलना छोड़ दें:

प्रयास यह होना चाहिए कि आप झूठ कभी नहीं बोलें। क्योंकि एक बार झूठ का सहारा लेने पर आपके रिष्ते का सभी ताना बाना जटिलताओं से घिरने लगता है। ऐसा बार बार करने से वैवाहिक जीवन पर इसका सीधा असर पड़ता है। इसलिए इससे जितना दूर हो सके दूरी बनाएं रखें।
चोरी न करें:
एक ही परिवार में रहने के बाद भी कुछ लोगों की यह प्रव2त्ति होती है कि छोटी-छोटी चीजों को वह छुपा के रखते हैं। यहां तक कि अपने पति से भी। ये सब गलत बात है। इससे भी बचें।
बेवजह के  दिखावे में न पड़ें:

कहने का तात्पर्य यह है कि अनियंत गतिविधियों को जीवन का हिस्सा न बनाएं। आजकल महिलाएं व पुरुश अपने परिवार के साथ या फिर बच्चों के साथ समय नहीं बिताते पर दूसरों के साथ क्लबिंग, किटटी व अन्य फालतू की बातों में समय बर्बाद करना उन्हें अच्छा लगता है। आप इसके बदले अपने अतिरिक्त उुर्जा को संभालकर रखें। जीवन में यह वक्त पर काम आता है। यानी आप खुद को अनुषासित कर एक सषक्त एवं फलप्रद जीवन जी सकते हैं।

जरूरत से ज्यादा धन के फेर में न फंसे: हर एक व्यक्ति को चाहिए कि अगर आपकी मूलभूत आवष्यकता रोटी, कपड़ा और मकान की चिंता नहीं है तो इससे अतिरिक्त धन के लिए हाय हाय में न फंसे। प्रयास जरूर करें पर उसके लिए अपनी चैन के दाव पर न लगाएं।

No comments:

Post a Comment