Saturday, February 19, 2011

बनिये सुंदर बहू (Be a Beautiful Daughter)

डीके मिश्र
सिया हर रोज सुबह उठकर जैसे ही बड़े बुजुर्गों का अभिभावदन करती हैं तो थोड़ी देर के घर के सभी सदस्यों की नजर उस पर टिक जाती है। ऐसा उसके अच्छे डेस सेंस और अच्छे मेकअप की वजह से होता है। फिर उसका व्यवहार भी अच्छा है। हालांकि दिखने में वह कुछ एक्स्टा नहीं है फिर भी उसका अलग ही आकर्षण है उसमें सिर्फ उसकी लिविंग स्टाइल की वजह से।

आप भी सिया की तरह दिख सकती हैं सुंदर पर आवश्यकता है इच्छाशक्ति की। माना कि भागदौड़ की जिंदगी में सभी के पास समय की कमी है परंतु वेल डे८स होकर आप भी लग सकती हैं आकर्षक। आपको करना केवल इतना भर है कि मेकअप: भले ही रोजाना मेकअप करने का वक्त मिल पाना बड़ा मुश्किल काम हो, फिर भी पांच मिनट का समय निकालकर हल्का सा फाउंडेशन और उस पर काॅम्पैक्ट लगाकर एक प्यारा सा शेड लिपस्टिक का और आंखों की लाइनर की एक पतली परत तो चढ़ाई जा सकती है। और रोजाना एक ही तरह की हेयर स्टाइल बनाने की बजाय कुछ हल्के बदलाव किए जाए तो बात ही कुछ निराली होगी।

वार्डरोब: सबसे पहले अपने वार्डरोब को सलीके से रखना सीखिए। कोशिश यह होनी चाहिए कि अधिकतम डेस किए हों। और हर डेस का दुपट्टा या साड़ी का ब्लाऊज या फिर टाॅप व कुर्ते के मैच का स्टोल साथ ही रखें ताकि आपको ऐन वक्त ढूंढने की मशक्कत न करनी पड़े। जहां तक हो सके अपने तैयार कपड़े हेंगर पर टांग कर रखें जिससे आपको बाहर निकलते वक्त डेस का चयन करने में दिक्कत का सामना न करना पड़े। और जो अनप्रेस्ड हैं उन्हें अलग खाने में रखिए। इससे आपका वार्डरोब हमेशा व्यवस्थित नजर आएगा।

ज्वेलरी: रोजाना तो हम हैवी ज्वेलरी पहन कर घूम नहीं सकते। इसलिए बेहतर होगा आप हैवी ज्वेलरी और लाइट ज्वेलरी का अलग अलग बक्सा बनाकर रखें। और कोशिश करें एक ही कलर की एसेसरीज जैसे बैंगल्स, ब्रेस्लेट, ईयररिंग्स, बिंदिया, हेयर बैंड साथ ही रखें तो आपको मैचिंग करने में समय बर्बाद नहीं करना पड़ेगा ।

संपूर्ण संस्कार है विवाह (Marriage Perfect Rites)

पं. महेश शर्मा

विवाह एक संस्कार है, शरीरों का आदान प्रदान मात्र नहीं। संस्कार उसे कहते हैं, जो मनुष्य का सुसंस्कृत मार्ग दर्शन करे। लोगों को व्यवस्थित कला और सुरूचिपूर्ण जीवन की प्रेरणा दे और लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हो।

विवाह के इस सार्थक अर्थ के विपरीत कहीं दहेज को लेकर पति-पत्नी झगड़ते हैं, तो कहीं विचार वैगाम्य के कारण टकराव है। शरीर, रूप और स्वास्थ्य का आकर्षण कुछ दिन ही चलता है। इनका थोड़ा भी अभाव होने पर पति-पत्नी परस्पर खिचने लगते हैं। एक घर में रहते हुए भी मन से कोसों दूर। ऐसे दम्पत्ति जीवन लक्ष्य की प्राप्ति करना तो दूर पार्थिव जीवन ही ऐसे जीते हैं, जैेसे कोई हजार मन वजन का पत्थर उनकी छाती पर चढ़ा हो।

होना यह चाहिए कि दोनों शरीर और स्वास्थ्य के साथ-साथ भावनात्म्क एकता का भी परिपालन पूर्ण निष्ठा के साथ करें। इसके लिए न तो दहेज की आवश्यकता है, जो उनके मन को सूक्ष्म रूप से वह संस्कार भर सकें और उन्हें इस बात की सशक्त प्रेरणा दे सके कि विवाह का अध्यात्मिक उद्देश्य अधिक महत्वपूर्ण है। यदि यह बात मन में बैठ जाए तो असफल विवाहों की समस्या स्वयंमेव हल हो जाए।

इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुरूष और महिला का मिलन जरूरी है। पुरूष अपने आप में अपूर्ण है, उसे जीवन व्यवहार में और आत्मिक आकांक्षाओं में सहयोग के लिए समान गुण, संस्कार और सिद्धांतों वाली धर्मपत्नी की आवश्यकता पड़ती है। उसी प्रकार स्त्ऱी को भी अध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सहायक साथी की आवश्यकता होती है। विवाह को उन दोनों आत्माओं के जीवन लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग का नाम है। विवाह को उन दोनों आत्माओं के जीवन लक्ष्य प्राप्ति में सहयोग का संकल्प कहना चाहिए। उस दृष्टि से ऊपर वर्णित जटिलताओं की कहीं भी कोई भी उपयोगिता दृष्टि गोचर नहीं होती।

देवताओं, अग्नि और भगवान की साक्षी में संपन्न होने वाला विवाह एक प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान है। दो आत्माओं के भावनापूर्ण अध्यात्मिक विलयन को विवाह कहते हैं। पर अब जो परंपराएं प्रचलित हैं, उनमें कहीं भी न तो ऐसी प्रेरणा मिलती हैं और न शिक्षा का ही प्रावधान रखा गया है। इसलिए परंपरागत विवाहों को आदर्श विवाहों के रूप में ढालने की नितांत आवश्यकता है।

कहने का मतलब है कि किसी विवाह को आदर्श विवाह तभी कह सकते हैं जब पति-पत्नी यह अनुभव करें कि ये वासना की पूर्ति, बच्चे पैदा करने अथवा सामान्य जीवन बिताने के लिए ही प्रणय सूत्र में नहीं आबद्ध हो रहे वरन वे परस्पर हित के लिए कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य, विवेक और अपने साथी को अधिक महत्व देने के लिए तैयार रहेंगे। विवाह अपने आपको समाज सेवा में ढालने की प्रारंभिक किन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है, उसके अनुरूप ही मानसिक और भावनात्मक तैयारी भी होनी आवश्यक है।

Friday, February 18, 2011

प्यार न होने दें कम (Let love be not less)


डीके मिश्र
प्यार की डोर मजबूत बनी रहे, ऐसा हर कोई चाहता है। यदि आपके रिश्ते में प्यार की गहराई है तो कोई बात नहीं, लेकिन आपको लगता है कि इसमें कहीं कोई कमी है तो आपको इस बंधन को मजबूत बनाए रखने के लिए और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। भले ही क्यों न आपका प्यार जिंदगी भर का है और आप अपनी जिंदगी में खुशहाल हैं।

ऐसा इसलिए कि किसी भी रिश्ते की बुनियाद प्यार और विश्वास पर टिकी होती है। अगर आप किसी का हाथ थामते हैं या थामने का वादा करते हैं, तो उसे निभाना भी सीखना चाहिए। सवाल यह है कि प्यार की डोर किस तरह मजबूत बनी रहे, जिससे हमेशा के लिए वैलेंटाइन-डे वाली अनुभूति बनी रहे। आप चाहती हैं कि आपके रिश्ते की उम्र लंबी होे, तो इन बातों पर गौर करें।


अनकंडीशनल सपोर्ट:
 क्या कभी आपने सोचा है कि जीवन में कइयों से दोस्ती होती है, मगर उनमें से सिर्फ एक ही को हम क्यों पसंद आते हैं! सात फेरे के साथ जिंदगी की डोर उसी एक के हाथ में क्यों सौंप देते हैं! क्योंकि वही एक होता है, जो आपको समझाता है। आपकी कद्र करता है। तभी तो आप उसे प्यार करने के लिए बाध्य हो जाते हैं। तो फिर उस खास व्यक्ति को हर परिस्थिति में साथ देने का वादा भी तो करना ही पड़ेगा। जब भी कोई सिचुएशन आये उनकी परेशानियों को शांत मन से सुनें और जितना बन सके उनकी मदद करें।

सम्मान करना सीखें:
किसी भी रिश्ते में सम्मान व आदर का होना बेहद जरूरी होता है। एक-दूसरे के जज्बातों और भावनाओं का आदर करेंगे, तभी आप एक-दूसरे के करीब रह पाएंगे।

तालमेल:
प्यार में एडजस्टमेंट की भी थोड़ी बहुत गुंजाइश होनी चाहिए। परिस्थिति के अनुसार खुद में भी बदलाव लाने की कोशिश करनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर हालात से समझौता भी करें। मगर अपने पार्टनर की तुलना किसी और के साथ न करें। ऐसा कर आप अपने रिश्ते को कमजोर बनाने का काम करती हैं।

विश्वास:
रिश्तों में विश्वास का होना भी जरूरी है। यह वह कड़ी है, जो आजीवन रिश्ते की नींव को डगमगाने नहीं देती। जिस रिश्ते में विश्वास नहीं होता है, वहां ईमानदारी व सपोर्ट की भी गुंजाइश नहीं बचती है। परिस्थिति चाहे जैसे भी हो, एक-दूसरे के प्रति ईमानदार होना जरूरी है, तभी आप एक खुशहाल जिंदगी जी सकती हैं।

गुड कम्युनिकेशन:
वर्तमान में समय की कमी के कारण पति पत्नी के बीच कम्युनिकेशन बहुत कम होता जा रहा है। रिश्तों में आ रही दूरियों के लिए एक वजह यह भी है। अगर आप भी ऐसे ही लोगों की लिस्ट में शामिल हैं, तो जल्द से जल्द इस कम्युनिकेशन गैप को खत्म करें।

सच बोलना सीखें:
प्यार के रिश्ते में झूठ की कोई जगह नहीं होती। झूठ की नींव पर खड़े रिश्ते ज्यादा दिन तक नहीं चलते। याद रखिए कि सामने वाले को आप सच्ची बात बताकर अपने आपको समझने का मौका देते हैं। जो आपको जीवन के हर मोड़ पर आगे बढ़ने का हौसला देता है। रिश्ते में पारदर्शिता होगी, तभी वह सफल भी होगा।

समर्पण:
प्यार का बुनियादी आधार है समर्पण। अगर आप किसी के प्रति समर्पित हैं, तो वह आपको एक न एक दिन प्यार करेगा। इसलिए प्यार के इस बुनियादी आधार समर्पण की कीमत समझिए।

तारीफ कीजिए:
आपके पार्टनर में जो भी अच्छाइयां हैं, उनकी प्रशंसा करना भी सीखिए। कमियों को कुरेदने के बजाय अच्छाइयों पर गौर करेंगी, तो सब कुछ अच्छा ही लगेगा। माफ करना भी सीखिए। गलती चाहे जिस किसी की भी हो, एक-दूसरे को माफ करना भी सीखें। पुरानी बातों को भुला कर आगे बढ़े।

प्राथमिकता दें:
शादी जैसे रिश्ते पर हमेशा वर्क करने की जरूरत होती है। यह नहीं कि शादी हो गई, तो लापरवाह हो जाएं। रिश्तों में प्रगाढ़ता तभी बनी रहेगी, जब आप अपने पार्टनर को प्राथमिकता देंगी। उनकी हर जरूरतों का ख्याल रखेंगी।

Wednesday, February 9, 2011

सपनों का राजकुमार (Prince of Dreams)

दुनियां भर में अपने लिए राजकुमार का चयन करना आसान काम नहीं रहा है। हर काल व परिस्थितियों में यह सार्वभौम सत्य एक समान लागू होता है। चाहे उस काल को याद करें जब माता पिता बिना पूछे ही लड़कियों की शादी तय कर दिया करते थे। या फिर आज का काल जब शादी करने वाली लड़कियां खुद अपने लिए वर ढूढ लेती हो या फिर लिव के जरिए वर की तलाश करने में लगी हो। लाइफ पार्टनर का चयन आसान काम नहीं है। लेकिन आपकी इस मुश्किल को हल करने में नई पीढ़ी के युवाओं के लिए शापिंग टिप्स हो सकता है कुछ कारगर।

अगर आप अपने लिए जीवनसाथी की तलाश में हैं तो आप अपने व्यक्तित्व कौशल में कुछ सुधार कर लें। चूंकि वर्तमान जिंदगी बाजार से संचालित है इसलिए आपके लिए जरूरी है कि आप बाजारी मूल्य को भी पूरी तरह से समझें। ऐसा नहीं है कि बाजार में सबकुछ गलत है। यह आप पर निर्भर है कि बाजार के बल पर कैसे बेहतर जिंदगी के लिए अपने सपनों के राजकुमार का चयन कर लें। बाजार की बात करने से मेरा मतलब यह नहीं है कि आप शादी करने जा रही हैं तो खूब पैसे बचाएं या फिर केवल पैसे कमाने पर जोर दें। बल्कि शाॅपिंग करते समय आप डेली निड्स के लिए जिस फार्मूले का प्रयोग करती हैं उसी का प्रयोग कर आप कुछ और भी कर सकती हैं। क्योंकि यह फार्मूला आजकल काफी प्रभावी साबित हो रहा है। इसे जीवनसाथी के चुनाव के लिए अपनाया जाए तो इसका परिणाम बिल्कुल मनमाफिक आता है। आप सच मानिए अपने लिए जीवनसाथी तलाश रहे लोगों के लिए खरीदारी के नुस्खे गाइड की तरह काम कर सकते हैं। बाजार हमारे घर के हर कोने में है। सुबह से शाम बाजार ही हमारे दिलो दिमाग में रहता है। खत्म होता सामान, महंगाई, नया फैशन, सस्ती चीजें, क्वालिटी चीजें वगैरह वगैरह। हर वक्त बाहर सजे बाजारों से अपने लिए बेहतर डील कर पाने के झमेले में फंसे हम लोग कहीं ऐसा तो नहीं कि रिश्तों को भी उसी तरह तोलने लगे हैं। कहीं न कहीं बेहतर खरीदारी के सिदृधांत सामाजिक रिश्तों को चुनने का आधार बनते जाते हैं। खासतौर से अपने लिए जीवनसाथी चुनने के मामले में। क्या आप नहीं चाहतीं कि आपकी बेटी को संभावित दूल्हों की भीड़ में से कोई ऐसा मिले, जो उसके लिए परफेक्ट हो। बिल्कुल वैसा जैसी कल्पना उसने अपने सपने के राजकुमार को लेकर सालों से की है या फिर जैसे सपने आपने किस्से कहानियों के जरिये उसे बचपन से दिखाए हैं। यह सच है कि अपने जीवनसाथी में जिस जिस गुणों की कल्पना एक लड़की करती है, उसकी लिस्ट थोड़ी लंबी होती है। और किसी एक इंसान में ये सारी खूबियां मिलना असंभव है। फिर भी जैसे किसी माल या मार्केट में शापिंग करते वक्त आप एक ही सामान के लिए चार दुकान देखना पसंद करती हैं, जीवनसाथी की तलाश भी कुछ उसी तरीके से आप करें। इस बात पर अमल करने में आप फायदे में रहेंगी। एक साथ अगर चार रिश्तों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए, तो डील बेहतर होगी। तो क्यों न इसका लाभ उठाया जाए। तो फिर आईए और जाने क्या करें और क्या न करें।

सूची बनाएं

सपनों का राजकुमार ढूंढने की कवायद चाहे माता पिता करें या आप खुद। लड़के में क्या चाहिए इसे तो तय करना ही पड़ता है। इस लिस्ट में लड़के की रंग रूप हाईट, उसकी आय, सरकारी या गैर सरकारी नौकरी, खुद का व्यवसाय, घर परिवार के रहन सहन, विचार, पहनावे, शहर, अपनी पसंद ना पसंद आदि को शामिल कर सकती हैं। लेकिन आप यह याद जरूर रखें सूची वही बनाएं जो आपके परिवार की बजट में संभव हो। हां, ये बात भी मन में तय कर लें कि न तो कोई भी लड़का ऐसा नहीं है जो सभी गुणों को साथ लेकर इस दुनिया में आया हो। इसलिए राजकुमार के बारे में तय करने से पहले अपनी सोच को व्यावहारिक जरूर बना लें। यानी आपको जिंदगी जीने के लिए कैसा पति चाहिए इसकी सूची जरूर बनाएं पर वह लिस्ट इतनी लंबी न हो कि कोई भी लड़का आपके पैमाने पर खरा ही न उतर पाए।

दिखावे पर न जाएं

प्रोडक्ट की शानदार पैकिंग हर किसी को आकर्षित करती है। ऐसे ही रिश्तों की खोज में लगा मन ब्रांडेड कपड़े, माॅडलों जैसी चाल और लिपा पुता चेहरा देखकर बहुत आकर्षित होता है। लेकिन खूबसूरत पैकिंग में आने वाले चाइनीज प्रोडक्ट के हाल से तो आप भी वाकिफ होंगी ही। पास जाने और पैकिंग के अंदर क्या है उसे समझने पर सही स्थिति उभरकर सामने आती है। कहने का मतलब यह है कि अपनी बिटिया के लिए जीवनसाथी की तलाश के समय सिर्फ बाहरी दिखावे पर न जाएं, बल्कि यह देखना भी जरूरी है कि लड़के का स्वभाव कैसा है या उसके परिवार का बैकग्राउंड कैसा है। अगर इन सब चीजों को नजरअंदाज कर आप बाहरी डील डौल से प्रभावित होकर रिश्ते के लिए हामी भरती हैं, तो बाद में परेशानियां भी झेलनी पड़ सकती हैं।

कानूनी पहलू

हर पैकिंग पर लिखे संदेश और चेतावनियां शाॅपिंग करते समय सही और सेहतमंद प्रोडक्ट चुनने में मदद करती हैं। बिल्कुल ऐसे कि कीप इन ए कूल ऐंड ड?ाई प्लेस। या कि सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। या कि विद लो कोलेस्ट?ाॅल। अब आप दिल की बीमारी या मोटापे से ग्रस्त हैं तो फिर लो कोलेस्ट?ाॅल आॅयल का उपयोग खाना बनाने में करती हैं। बिल्कुल ऐसा ही होता है रिश्तों के मामले में। उदाहरण के लिए एनआरआई वर या सरकारी नौकरी वाला वर। अब अगर आपको ऐसा जीवनसाथी चाहिए, तो तबादले और देश से दूर रहने के लिए तैयार रहना होगा। घर में लड़ाई झगड़ा झेल रहा  इंसान शांत जीवनसाथी की तलाश करता है। जो सज्जन हो, साॅफ्ट स्पोकन हो। यह सब तय करने का वक्त शादी से पहले का होता है। इसलिए विज्ञापन देते समय यह सब तय पहले ही तय कर लें।

नो एक्सचेंज आफर
यह बात गांठ बांध कर रख लें कि रिश्ता एक्सचेंज आफर की जगह नो एक्सचेंज आॅफर है। इसलिए आप रिश्ता ढंूढते वक्त एक्सचेंज आफर की बात न करें। शायद इसलिए आपको बहुत सोच समझकर जिंदगी की इस शाॅपिंग में भाग लेना होता है। वही प्रोडक्ट का चयन करना होता है जो लाइफ लांग हो न कि चाइनीज आयटम की तरह कि जब तक चले तब तक ठीक है नहीं तो कूड़े में डाल दो। एक बात ध्यान रखें चाहे आप कितनी ही माडर्न क्यों न हो लाइफ पार्टनर कूड़े में डालने के लिए नहीं होता है। यह जिंदगी की सबसे अहम जरूरत है इसी के बाद कुछ और बेहतर हो सकता है ।

भारतीय समाज में परंपरा से यह कहा जाता रहा है कि संबंध उसी से बनाएं जो समान हों। जीवनसाथी की तलाश के दौरान इस बात का ध्यान जरूर रखें कि स्टेटस, जिंदगी के नजरिए आदि में बहुत ज्यादा अंतर न हो।

Sunday, February 6, 2011

प्यार के नवीन सूत्र NEW Love formula

Dhirendra Mishra

हिंदू परंपरा में भले ही विवाह संबंध शाश्वत हों, लेकिन समय और जरूरतों के हिसाब से इनमें बदलाव आते रहते हैं। ये बदलाव आने भी जरूरी हैं तभी तो इनकी सफलता सुनिश्चित होगी। इस मामले में लकीर का फकीर न बनें।
रिश्तों को निभाने के लिए तय किए गए ऐसे अनेक नियम हंै जो हकीकत के धरातल पर आते ही न जाने कब कहां धाराशाई हो जाते हैं। ऐसा इसलिए कि पति-पत्नी की आशाएं और अपेक्षाएं अलग होती हैं। रिश्तों को समझने और निभाने की समझदारी भी दोनों की अलग-अलग होती है। हालांकि आजकल रिश्तों को निभाने की जिम्मेदारी दोनों पर बराबर ही है और दोनों बराबरी के स्तर पर इन्हें निभाते भी हैं फिर भी तकरार कई बार चरमसीमा पर पहुंच जाती है। तो आखिर कैसे तय करें अपने रास्ते को!

ऐसा नहीं है कि इस समस्या का हल नहीं है। जरूरत है इन्हें समझने और समझाने की। ये मंत्र तय करें कि आज के हिसाब से प्यार के बंधन को कैसे बनाएं स्थायी और हमेशा का हमसफर।
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निजता

विवाह का बंधन दो इंसानों के बीच बंधता है। जब यह मजबूत होता है तभी दोनों परिवारों के सदस्य इसमें आ जुड़ते हैं। कभी-कभी पेरेंट्स अपने बच्चों को ज्यादा सामाजिक बनाने के फेर में नाइंसाफी करने से भी पीछे नहीं हटते। यहां तक कि वे युवा दंपत्तियों के साथ हनीमून पर जाने से भी परहेज नहीं करते। जबकि शादी के बाद हनीमून की परंपरा बनाई ही इसलिए गई है कि जिससे दोनों एक-दूसरे को ठीक से समझ सकें। उन्हें समय चाहिए, जो कुछ दिन अकेले रहकर ही मिल सकता है। घर वालों की दखलंदाजी से यह स्पेस उन्हें नहीं मिल पाता।
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स्पेस दें

वैवाहिक संबंधों में व्यक्तिगत स्पेस की जगह हमारा स्पेस हो जाता है। यदि आप दोनों अपने-अपने स्पेस को लेकर लड़ते रहेंगे और यह कहेंगे कि तुम मेरे स्पेस को खत्म मत करो तो हमारे लिए कहा जगह रह जाएगी! साथ में रहने और निभाने के लिए अपने मैं को समाप्त करना होगा। लेकिन आज के व्यस्तता भरे दौर में लगातार कोशिश करनी चाहिए कि साथ समय गुजारें। कुछ रोजमर्रा के काम साथ-साथ करने चाहिए। जैसे वाॅक पर जाना या किचन समेटने में हाथ बंटाना। जब साथ हों तो कम से कम एक घंटे के लिए मोबाइल फोन बंद कर लेना।
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तालमेल

पति-पत्नी के अलावा बाकी रिश्तों को थोड़ा सा बाहर की ओर रखें। चाहे आप अपने लोगों को कितना भी प्यार करते हों। अपने वैेवाहिक संबंधों को अन्य संबंधों के पीछे मत रखें। बहुत से दंपत्ति अपने बच्चों को युवा होने तक उनकी चिंता करना भी बच्चों को असहज कर देता है। ऐसे में आपके पास कहां कितना स्पेस बचता है। अपने रिश्तों को मजबत करने के लिए!
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पूर्वाग्रह

अकसर हम विवाह संस्था को अपने अभिभावकों को जोड़ कर देखते हैं। लड़की यह सोचती है कि उसके पिता से अच्छा पति नहीं हो सकता क्योंकि वह घरेलू सामान की शाॅपिंग से लेकर उसके होमवर्क तक में मदद करते थे। यदि उसका पति इस प्रकार का नहीं होगा तो वह हताश हो जाएगी। ठीक इसी प्रकार यदि किसी लड़के की पत्नी उसकी मां की तरह बेहतरीन खाना नहीं बनाएगी तो वह निराश या परेशान हो सकता है, लेकिन इस तरह की घटनाओं में दूसरे पहलुओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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दोस्तों की सीमा

वैवाहिक संबंधों में दोस्तों को घुसने का मौका मत दीजिए। लड़के अकसर दोस्तों के साथ देर रात तक बाहर रहते हैं तथा लड़कियां शाॅपिंग के पीछे दीवानी रहती हैं। अब आपके दोस्त हैं, तो हर मसले पर आपको अपनी बेशकीमती राय भी देंगे ही। लेकिन यह मत भूलिए कि वे दोस्त भी आपकी तरह ही अनुभवहीन हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं कि उनके राय आपके लिए लाभकारी ही हों।
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परस्पर सहयोग

यदि संबंधों में कहीं कोई समस्या है और आप उसे दूर नहीं कर पा रहे हैं तो हिचकिचाइए नहीं। किसी अनुभवी की सहायता इस मामले में ले सकते हैं। कई बार सही कदम उठाने से कई मुदृदे आसानी से हल हो जाते हैं। अकसर हम अपने आप गलत सही तय नहीं कर पाते। विवाह और उसका स्थान जितना आत्मीय, सुरक्षित और प्रिय है उतना ही संकीर्ण भी है, उसमें केवल आप दोनों ही प्रवेश कर सकते हैं। इसके लिए कड़ी मेहनत करने से न डरें। बीच की जगह में किसी को घुसने की इजाजत नहीं दें। ताकि प्यार का यह रिश्ता हमेशा इसी तरह चले।

यह समझ का फेर है...(Understanding Relationship of Husband and Wife)

पति-पत्नी के संबंधों में कई बार तो तकरार केवल इस बात के लिए होती
है वह एक-दूसरे को समझ ही नहीं पाते। आपके साथ भी ऐसा होता है तो
ऐन मौके पर सीधे और साफ साफ शब्दों में बात करें। अगर आप ऐसा करेंगे
तो इसका परिणाम चैकाने वाला होगा और तकरार से आप रहेंगे कोसों दूर।



ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर पुरूष इसलिए अकुलाता है कि स्त्री बात को सीधे ढंग से नहीं कहती। वह हर बात जलेबी की तरह घुमा घुमाकर कहती है, जबकि स्त्री इसलिए अकुलाती है कि पुरूष उनकी बातों को समझ नहीं पाता।

सामान्यता होता यह है कि स्त्री पुरूष से परोक्ष रूप से बात करके ऐसी अपेक्षा रखती है कि वह समझ जाए, जबकि पुरूष को ऐसे पता नहीं चलता। वह अपेक्षा रखता है कि स्त्री जो भी बात हो उसे सीधे ही कहे।

पुरूष और स्त्री की अपने अपने मानस की इस विशेषता के कारण निजी रिश्तों में कई गलतफहमियां उठ खड़ी होती हैं।
जो पुरूष स्त्रियों में लोकप्रिय होते हैं, उनमें परोक्ष रूप से बात करने की और समझ जाने की कुशलता होती है। इस कुशलता के कारण वे स्त्री को समझ सकते हैं। ऐसी एक भावना स्त्री में पैदा कर सकते हैं, जो उनके रिश्ते अधिक मजबूत बनाती हैं।

दूसरी ओर जो स्त्रियां बिंदास कहीं जाएंगी पुरूषें के साथ जल्दी से मेल होता है। सीधे ही बात करने की अपनी कमजोरी से पुरूष कई बार सामने वाले व्यक्ति को अनचाहे भी दुखी कर देते हैं। जबकि परोक्ष बात करने वाली स्त्रियों से सामने वाले व्यक्ति को बुरा लगने की संभावनाएं कम रहती हैं। इसी वजह से जनसंपर्क के ओहदों पर स्त्रियां अधिक सफल रहती हैं।

यह चर्चा तो देर तक चले ऐसी है, परंतु इसका निचोड़ हमें यह लाना चाहिए कि हर पुरूष को यह समझ लेने की या सीखने की जरूरत है कि परोक्ष बात करना या समझ जाना  चाहिए। इस संवादहीनता को समझना भी एक सीखने वाली कला है। इससे स्त्रियां तो खुश रहेगी ही, साथ ही साथ दूसरे रिश्तों में भी लाभ होगा।

स्त्रियों को यह समझना या सीखना है कि कभी कभार सीधे रूप से कहना इतना असरदार होता है कि जिसमें सामने वाला व्यक्ति मर्यादा में रहे। परोक्ष रूप से कहीं गई बात यदि सामने वाले व्यक्ति के दिमाग में न जाए तो उसे मर्यादा लांघने में देर नहीं लगेगी। साथ ही साथ यदि आप कोई बात सौ प्रतिशत पुरूष के दिमाग में लाना चाहती हों तो सीधे ही मूल मुद्दे पर आकर सीधी ही बात करें तो लाभ होगा।

Wednesday, February 2, 2011

संबंधों को दें नया आयाम...(Put Sizzling back into your duo)

क्या आपके संबंधों की केमस्ट्री में कमी आ रही है? कोई बात नहीं. एक छोटा और आसान तरीका है. इससे आप अपने शांत होते संबंधों में फिर से जोश भर सकते हैं.


समझने के लिए समय दें

जब आप टीवी देखते हुए अपनी रात गुजारते हैं या अलग कमरे में होते हैं, तब आप मस्ती करने के बजाय जोश को ठंडा कर देते हैं. मतलब आप एक दूसरे को समझने के लिए समय ही नहीं दे पा रहे हैं. अच्छा होगा, घर से बाहर निकलें और मस्ती में जैसे पहले डूबते थे वैसे ही मदमस्त होकर एक-दूसरे के प्यार में डूब जाएं.

संबंधों में जिंदादिली लाने के लिए कुछ नया करें

अगर आपकी जिंदगी में कुछ नया नहीं हो रहा हो, तब आप अपने जीवन में कुछ जिंदादिली लाने की कोशिश करें. जैसै कि आप जिम जा सकते हैं. इससे आप पहले असहज महसूस करेंगे पर इतना जरूर है कि जिंदगी में कुछ नया करने को मिल जाएगा. कुछ समय बाद आपको लगेगा कि इस बदलाव से आपके जीवन में कुछ नयापन आ गया है और आप संबंधों में भी तरोताजगी महसूस करने लगेंगे.

टॉपिक बदल कर लाएं जीवन में स्फूर्ति

सचमुच, आप दोनों एक-दूजे के लिए ही बने हैं, एक-दूसरे को बहुत प्यार करते हैं, लेकिन जीवन में कुछ बातें आपके संबंधों में सेंसर लगा देती हैं. यही चीजें आपके संबंधों में समस्या पैदा कर देती हैं. ऐसे में आपको एक काम करना चाहिए. रोजमर्रा की जिंदगी से बाहर की किसी भी टॉपिक पर बात करनी चाहिए. हां ध्यान रहे, जिस भी विषय पर बात करें, उसे 10 से 15 मिनट तक ही खींचा जाए. फिर उसी टॉपिक पर बात करें, जिसे आप दोनों पसंद करते हों.