Saturday, January 29, 2011

सुखी दाम्पत्य की बचत योजना (Imortance of SAVING in married life)

विवाह के बाद  जिम्मेदारियां तो बढ़ती ही है इसके बाद भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में भी सोचना भी लाजिमी हो जाता है।


विवाह के बाद चाहे स्त्री हो या पुरूष दोनों के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं। यह परिवर्तन आर्थिक, सामाजिक और भावनात्मक होते हैं। स्त्री पुरूष परस्पर एक-दूसरे के सुखों और खुषियों की जिम्मेदारी उठाते हैं और उनकी पूरी कोषिष होती है कि इसमें कोई कमी न रह जाए। कहने का मतलब यह है कि सफल विवाह का एक महत्वपूर्ण पहलू मिल जुलकर धन का प्रबंधन करना हो जाता है। यह मायने नहीं रखता कि आप उम्र के किस पड़ाव में हैं। कोई भी महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय अगर आपस में बातचीत करने के बाद लें तो जीवन सुखमय रहेगा और एक-दूसरे के प्रति प्यार और आदर का भाव भी जीवंत बना रहेगा।

विवाह से पहले यदि आप अपने माता पिता के साथ रहते थे तो आपको केवल फोन, केबिल और अपने खर्चों की व्यवस्था करनी पड़ती रही होगी। अब आपके ऊपर ही परिवार की पूरी जिम्मेदारी है। अगर आप छुट्टियां मनाने जाना चाहते हैं तो उससे पहले आपको यह सुनिष्चित करना होगा कि क्या आपके बैंक के जमा खाते में इसके लिए पर्याप्त पैसे हैं। विवाह के बाद वित्तीय जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं और ऐसी परिस्थिति में पैसे बचाना आसान नहीं होता है। न ही यह स्वयंमेव शुरू होने वाली चीज है। इसके लिए आपको दृढ़ निष्चय करने की जरूरत है।

अगर आप शुरू से ही बचत प्रेमी हैं, तो शादी के बाद भी नियमित बचत के अनुषासन को मत छोड़ें। इसकी एक युक्ति है आप खुद को थोड़ा अधिक व्यवस्थित करते हुए वास्तविक वित्तीय योजना बनाने की ष्शुरूआत करें। कैसी हो वित्तीय योजना सबसे पहले आपको यह देखने की जरूरत है कि आपका पर्याप्त बीमा है या नहीं। खासतौर पर तब जब आपकी पत्नी आप पर आर्थिक रूप से निर्भर हांे। पति या पत्नी के नौकरीपेषा होने के बावजूद यह न भूलें कि आपकी कमाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा घरेलू खर्चों और ऋण की अदाएगी के लिए है। आपको यह सुनिष्चित करने की जरूरत है कि आपने पर्याप्त बीमा लिया हुआ है, ताकि आपके साथ किसी प्रकार का हादसा हो जाने की दषा में आपके पति या पत्नी को आर्थिक कष्ट न झेलना पड़े और घर के मासिक खर्च के अलावा अन्य आर्थिक जिम्मेदारियों को निर्वाह करने में भी उसे कोई बाधा न आए।

इसके लिए आप समय समय पर अपने बीमा की जरूरतों का आकलन भी करते रहें। लक्ष्य का निर्धारण जरूरी अगर आप यह मानकर चलें कि किसी खास समय सीमा में आपने अपने लिए तीन लक्ष्य निर्धारित किए हैं आप कुछ महीनों के अंदर अपना घर खरीदना चाहते हैं, जिसके लिए डाउन पेमेंट की व्यवस्था करनी है। यह आपकी तात्कालिक जरूरत है, जिसकी पूर्ति आप अपने बचत खाते में जमा की गई राषि से या नकदी कोष से कर सकते हैं।

आपकी इच्छा है कि आप जीवन साथी के संग छुट्टियां मनाने जाएं। इसके लिए की जाने वाली बचत को अल्पावधि के ऋण फंड में डाल देना चाहिए। अगर आप दो तीन वर्शों में छुट्टियां मनाने जाना चाहते हैं तो बैंक की सावधि जमा या इनकम फंड में पैसे डाल सकते हैं। रिटायरमेंट के लिए धन कोष इकट्ठा करने के लिए सबसे बढ़ियां विकल्प है इक्विटी में निवेष। क्या आप उम्र के चैथे या पांचवें दषक में हैं। अगर आप विषुद्ध ऋण फंड में निवेष नहीं करना चाहते हैं तो 30 से 40 प्रतिषत निवेष की जाने वाली राषि का आवंटन बैलेंस फंड में कर सकते हैं। आपको ऋण इक्विटी पर तब ज्यादा गौर फरमाने की जरूरत है जब आपने पब्लिक प्रोविडेंट फंड कर्मचारी भविष्य निधि, राष्ट्रीय बचत प्रमण या किसान विकास पत्र में निवेष पहले से किया हुआ है।

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